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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2631
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रथम विश्वयुद्धोत्तर काल की भारतीय परिस्थितियों का असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने में क्या योगदान था?
2. रॉलेट एक्ट' के विषय में आप क्या जानते हैं? यह किस प्रकार असहयोग आन्दोलन का एक कारण बना?
3. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने असहयोग आन्दोलन को अवश्यम्भावी बना दिया था. स्पष्ट करें।
4. हण्टर समिति प्रतिवेदन' पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
5. खिलाफत आन्दोलन क्या था? असहयोग आन्दोलन के प्रादुर्भाव में इसकी क्या भूमिका थी?

उत्तर-

इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी किसी व्यवस्था में अन्याय, अत्याचार व शोषण पनपता है तो जनता द्वारा शोषणकारी राज्य व सरकार के विरुद्ध आवाज अवश्य ही उठायी गयी है। यही स्थिति भारतीय जनता की भी रही। सन् 1918-19 ई. तक की भारतीय परिस्थितियों में ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी नीतियाँ चरम पर थीं। ऐसे में जनता का विरोध करना अवश्यभावी हो गया। तत्कालीन समय में भारतीय राजनीतिक पटल पर महात्मा गाँधी का उदय हो चुका था। उन्होंने भारतीय जनमानस को विरोध प्रदर्शित करने का एक नवीन मार्ग दिखलाया, यह मार्ग 'असहयोग' व सत्याग्रह का मार्ग था, जोकि अहिंसा, नैतिकता और सद्भावना पर आधारित था। प्रारम्भ में महात्मा गाँधी ब्रिटिश सरकार के सहयोगी बने रहे परन्तु सत्ता के विरुद्ध प्रत्यक्ष रूप से व्यापक अहिंसात्मक विरोध का बिगुल फूँक दिया। 'असहयोग आन्दोलन उनके ब्रिटिश सरकार विरोधी एवं भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन सम्बन्धी कार्यक्रम का प्रथम व्यापक प्रत्यक्षीकरण था।

असहयोग आन्दोलन के तत्कालीन परिस्थितियों में अनेक अपरिहार्य कारण मौजूद थे. जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -

असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने के कारण - सन् 1919 ई में प्रारम्भ हुए असहयोग आन्दोलन के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे -

(1) प्रथम विश्वयुद्धोत्तर कालीन भारत में घोर निराशा और असन्तोष- स्वतंत्रता, प्रजातन्त्र और आत्मनिर्णय के नाम पर लड़े गये प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारतीय जनता से ब्रिटिश सरकार ने शीघ्रातिशीघ्र उत्तरदायी शासन की स्थापना के आश्वासन द्वारा धन-जन की भरपूर सहायता प्राप्त की। परन्तु युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत को पूर्ण स्वराज्य न देकर 1919 ई का भारतीय शासन अधिनियम पारित कर दिया जो भारतीय जनता की आशाओं के विपरीत था। इस अधिनियम से कोई भी सन्तुष्ट नहीं था। इस सन्दर्भ में तिलक ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि - "हमें बिना सूर्य के प्रभात दिया गया है।' इसके साथ-साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा युद्ध में व्यय की गई अपार राशि (लगभग 1.5 अरब पौण्ड) को भी भारतीय जनता से वसूलने का प्रयास किया गया। जनता पर भारी मात्रा में 'कर' लगाये गये तो वहीं तमाम आवश्यक वस्तुओं के दामों में भी असाधारण वृद्धि करके धन की वसूली की गयी। इन स्थितियों के चलते जनसाधारण को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। अतः इन निराशाजनक स्थितियों में जनता के पास प्रतिकार के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं था। फलस्वरूप जनता ने असहयोग आन्दोलन में बढ-चढ़कर भाग लिया।
(2) रौलेट एक्ट- प्रथम विश्व युद्ध के उपरान्त भी तमाम सुधारवादी आश्वासनों की उपेक्षा करते हुए ब्रिटिश सरकार स्वाधीनता हेतु संघर्षरत् क्रान्तिकारियों पर नियन्त्रण के नाम पर अपना दमन चक्र निरन्तर बनाए रखना चाहती थी। इस हेतु ब्रिटिश सरकार ने सन् 1917 ई. में 'सर सिडनी रौलेट' की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। समिति लगभग 4 माह उपरान्त अप्रैल, 1918 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के वर्तमान फौजादारी कानून क्रान्तिकारियों और उनकी गतिविधियों को कुचलने के लिए अपर्याप्त हैं। अतः सरकार ने इस सन्दर्भ में दो विधेयकों को तैयार कर उन्हें पारित करा लिया, इन्हें ही 'रौलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को महज संदेह के आधार पर गिरफ्तार करके अनिश्चित समय तक नजरबन्द रखा जा सकता था। 18 मार्च, 1919 ई. को 'रौलेक्ट एक्ट लागू कर दिया गया। इसका भारत में चारों ओर घोर विरोध पं. मोतीलाल नेहरू के शब्दों में, “अधिनियम ने अपील, वकील और दलील की व्यवस्था का हुआ। अन्त कर दिया। अतः इस एक्ट ने की असहयोग आन्दोलन को आवश्यम्भावी बना दिया।

(3) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड - रौलेट एक्ट के विरोध में भारत के अन्य प्रान्तों के समान ही पंजाब में भी हड़ताले और प्रदर्शन प्रारम्भ हो गये। तत्कालीन पंजाब का गवर्नर मायकेल ओ डायर था, जोकि अत्यन्त ही अत्याचारी व स्वेच्छाचारी अधिकारी था। उसने इस प्रकार के आन्दोलनो को सख्ती से कुचलने का निर्णय लिया। उसने कांग्रेसी नेताओ डॉ. सैफुद्दीन किचल और डॉ. सत्यपाल की बन्दी बना लिया। 13 अप्रैल सन् 1919 ई को बैशाखी के पुनीत पर्व पर अमृतसर के जलियाँवाला बाग में इन अत्याचारी नीतियों का विरोध करने हेतु एक अहिंसात्मक जन सभा का आयोजन किया गया। इसमें अपार जनसमूह ने भाग लिया जिसमें स्त्री-पुरुष, बालक, वृद्ध इत्यादि सभी शामिल थे। यह स्थान तीन ओर से ऊँची-ऊँची दीवारों से घिरा था, उसमें आने-जाने का केवल एक संकरा मार्ग था। जब तकरीबन 25,000 के लगभग जनता वहाँ एकत्रित होकर शान्तिपूर्ण ढंग से ब्रिटिश सरकार की अत्याचारी नीतियों का विरोध कर रही थी। ऐसे ही समय जनरल डायर सेना की टुकड़ी के साथ वहाँ पहुँचा और बिना किसी चेतावनी एवं हवाई फायर के सीधे गोली मारने का आदेश दे दिया। फलस्वरूप लगभग 10 मिनट तक लगातार गोलियो बरसती रही और निहत्थे, असहाय लोग तिल-तिल कर मरते रहे। इस गोलीकाण्ड में लगभग 1 हजार लोग मारे गये। इससे समस्त भारत की जनता का खून खौल उठा और इसी उत्तेजना ने असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ को अपरिहार्य बना दिया।

(4) हण्टर समिति प्रतिवेदन- ब्रिटिश शासन ने पंजाब राज्य की घटना से उत्पन्न भारतीय जनता के क्रोध को शान्त करने के लिये एवं गाँधी जी द्वारा दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की माँग को देखते हुए हण्टर समिति गठित की गयी। इस समिति में लॉर्ड हण्टर अध्यक्ष तथा कुछ अन्य सदस्य नियुक्त किये गये। इस समिति को जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की जाँच करनी थी। परन्तु जैसी की आशा की समिति ने दोषी अधिकारियों के कृत्य को न्यायोचित ठहराया। इसी क्रम में डायर के प्रशंसकों ने उसे चाँदी की तलवार और 20 हजार पौण्ड की धनराशि देकर सम्मानित किया। यह सब भारतीय जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान था। वास्तव में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ओर हण्टर समिति के प्रतिवेदन ने भारतीय जनता के हृदय में एक ऐसे ज्वालामुखी को जन्म दिया जो आगे चलकर 'असहयोग आन्दोलन के रूप में फूट पड़ा।

(5) खिलाफत आन्दोलन - प्रथम विश्वयुद्ध में टर्की मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जर्मनी के साथ लड़ रहा था। चूँकि भारतीय मुसलमान टर्की के सुल्तान को अपना खलीफा (धर्म गुरु) मानते थे। अतः ब्रिटेन द्वारा टर्की के विरुद्ध युद्ध किया जाना उनकी दृष्टि में उनके धर्म गुरु का विरोध किया जाना था। इसलिये इस युद्ध में भारतीय मुसलमान ब्रिटेन को किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं देना चाहते थे। परन्तु ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मुसलमानों का सहयोग प्राप्त करने हेतु यह आश्वासन दिया कि युद्ध की समाप्ति पर ब्रिटेन टर्की के प्रति बदले की भावना से व्यवहार नहीं करेगा और न ही उसे विभाजित करेगा। परन्तु युद्ध समाप्ति पर ब्रिटिश सरकार ने सेवर्स की सन्धि के तहत टर्की को छिन्न-भिन्न कर दिया। खलीफा को बन्दी बना लिया गया। इस घटना से भारतीय मुसलमान ब्रिटिश शासन के अत्यधिक विरुद्ध हो गये। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खलीफा की सत्ता पुनर्स्थापित करने के लिए खिलाफत आन्दोलन' प्रारम्भ कर दिया। गाँधी जी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित होने के आधार पर असहयोग आन्दोलन करने का निश्चय किया गया।

 

इस प्रकार उपर्युक्त प्रमुख कारणों के चलते असहयोग आन्दोलन का प्रादुर्भाव हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
  3. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
  5. प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
  6. प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
  7. प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  13. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
  16. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
  24. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  25. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
  29. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
  30. प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
  31. प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
  35. प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
  38. प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
  39. प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
  40. प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
  41. प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
  43. प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
  44. प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
  47. प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
  49. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
  51. प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
  55. प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
  59. प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
  60. प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
  61. प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
  66. प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  67. प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  68. प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
  70. प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
  71. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
  74. प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
  77. प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
  78. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
  79. प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
  80. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
  85. प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
  86. प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
  87. प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
  89. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  92. प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  93. प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
  94. प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
  96. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
  99. प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
  101. प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
  102. प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
  104. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
  106. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
  110. प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
  111. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
  112. प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  113. प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
  118. प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
  121. प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
  122. प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  123. प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
  125. प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
  126. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
  127. प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
  129. प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
  130. प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
  133. प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
  134. प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  136. प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  137. प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  139. प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
  141. प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
  142. प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
  143. प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
  147. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  148. प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
  149. प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  151. प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
  152. प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  153. प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  155. प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  156. प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  158. प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  159. प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
  161. प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
  162. प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  163. प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
  164. प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
  165. प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
  166. प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
  167. प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  169. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  170. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  171. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  172. प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  173. प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
  174. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  175. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  176. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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